
Transliteration and Translation of Select Pieces by and on VEERABRAHMAM
"वीरब्रह्म्म व्दरा और वीरब्रह्म्म पर रचित चर्चित छन्दों का लिप्यन्तरण तथा अनुवाद"

"मूल के प्रति अनुवादक विश्वास नहीं निभा सकता'' यह एक इटालवी सूक्ति है । जब मैं वीरब्रह्म्म द्वारा रचित और उन पर कुछ पदों का अनुवाद करने लगा, तब मुझे इस कथन का स्मरण कराया गया । सच है, मूल विषय विशेषकर जब वह कविता हो, अनुवाद में आहत होते हैं । कविता के माधुर्य भाव, छन्द सौष्ठव और मूल के सूक्ष्म-सौन्दर्य की प्रस्तुति उत्तम अनवादों में भी बहुत कम मिलती है । वेमना के पद्यों के संदर्भ में ऐसा ही हआ, जबकि सी.बी. ब्रौउन और सी.ई. ग्रोवर जैसे अंग्रेज साहित्यकारों ने उनके पद्यों को क्रमश: अंग्रेजी गद्य और कविता में अनूदित किया । ब्रौउन बड़े बुद्धिमान थे, जिन्होंने पद्यों का केवल गद्यमय अनुवाद किया। वे सच्चाई को भली भाँति जानते थे कि अनुवाद में मुहावरेदार लालित्य ध्वनि और लय को प्रस्तुत करना कठिन है ।
मैं वीरब्रह्म्म के कुछ गीतों को अनूदित करने में डरता हूँ, क्योंकि उनके सभी रहस्यात्मक गीतों में लालित्य और लय है । मैंने उन्हें छन्द में प्रस्तुत करने का प्रयास नहीं किया । विशाल विश्व को इस महान व्यक्ति का परिचय कराने के लिए मैंने उनके कुछ अमूल्य उपदेशों और प्रवचनों को अंग्रेजी में प्रस्तुत करने का एक सच्चा और विनम्र प्रयास किया है । जिस विश्वास के साथ मैंने यह किया, कम से कम मेरे पाठक इसकी प्रशंसा करेंगे । जो कुछ भी हो, मेरा विश्वास है कि मेरे अनुवाद मूल के प्रतिकूल नहीं होंगे । सावधानी के हेतु मैंने गद्यानुवाद करने का निर्णय लिया, जो कभी-कभी मुक्त छन्द सदृश लगते हैं, यदि भावानुकूल व्यवस्थित किया जाय ।
चूँकि वीरब्रह्म्म के अधिकतर सिद्धान्त मिथकीय अभिव्यक्ति हैं, मैं कभी-कभी काव्यमयी भाषा को अपनाने के लिए विवश हो जाता हूँ, जिससे कविताओं के मूल आनन्द को स्पर्श कर सकूँ । साधारणतयः, बड़ी सावधानी से उस अनुवाद में व्याख्यात्मक रूप को प्रस्तुत करने का सतर्क प्रयास किया, क्योंकि यथा रूप साहित्यिक अनुवाद से मुझे डर था कि कहीं भ्रम या गलतफहमी न हो जाय समुचित भाव समझने के लिए मैंने मूल गीतों का तेलुगु लिपियन्तरण भी दिया है ।
- Dr. V. V. L. NARASIMHA RAO